एक सखा बस चाहिए
एक सखा बस चाहिए,सुन लो हे भगवान।
बिना कहे सब जान ले,हो जो कृष्ण समान।।
चीनी सा मीठा लगे, महके जैसे इत्र।
सखा गरीबी देखकर,बदले जो ना मित्र।।
बने धूप में छांव जो,करे रात उजियार।
बैसाखी बन यार का,कर दे बेड़ा पार।।
अपनी पीड़ा त्याग कर, हरे सखा की पीर।
चन्दन सा शीतल करे,और धराए धीर।।
खुशियों मे जो झूमकर,छेड़े मीठी तान,
विपदा मे खुद लड़ पड़े,”जटा”लुटा दे जान।।
✍️जटाशंकर”जटा”
१५-०६-२०२१