एक शब के सुपुर्द ना करना,
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एक शब के सुपुर्द ना करना,
हसरतों से भरी सहर अपनी।
आशनाई में मत खपा देना,
इश्क़ के नाम पे उमर अपनी।
■प्रणय प्रभात■
एक शब के सुपुर्द ना करना,
हसरतों से भरी सहर अपनी।
आशनाई में मत खपा देना,
इश्क़ के नाम पे उमर अपनी।
■प्रणय प्रभात■