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24 Jan 2024 · 1 min read

एक शख्सियत

गुलिस्तां में हर शाख पर उल्लू नज़र आता है,
जब विनाश को ही विकास बताया जाता है ।

जब जब मुंडेर पर बोल रही कोतरी होती है,
तो हर क्षेत्र में हानि की ही बढ़ोतरी होती है ।

नटवरलाल की ठगियां पानी भरती हैं,
जब एक से एक चालें उनकी उभरती हैं ।

जब जब अपनी कमियों को छुपाना होता है,
शेखचिल्ली के पास डिंगों का खजाना होता है।

कथनी और करनी का अंतर सब समझते हैं,
अंधभक्ति ऐसी कि भक्त फिर भी उनको ही भजते हैं।

घड़ियाली आंस की कहावत यूं संजोया करता है,
भावनाओं के दोहन हेतु वो अक्सर रोया करता है ।

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