एक शख्सियत
गुलिस्तां में हर शाख पर उल्लू नज़र आता है,
जब विनाश को ही विकास बताया जाता है ।
जब जब मुंडेर पर बोल रही कोतरी होती है,
तो हर क्षेत्र में हानि की ही बढ़ोतरी होती है ।
नटवरलाल की ठगियां पानी भरती हैं,
जब एक से एक चालें उनकी उभरती हैं ।
जब जब अपनी कमियों को छुपाना होता है,
शेखचिल्ली के पास डिंगों का खजाना होता है।
कथनी और करनी का अंतर सब समझते हैं,
अंधभक्ति ऐसी कि भक्त फिर भी उनको ही भजते हैं।
घड़ियाली आंस की कहावत यूं संजोया करता है,
भावनाओं के दोहन हेतु वो अक्सर रोया करता है ।