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29 Sep 2024 · 1 min read

एक रचयिता सृष्टि का , इक ही सिरजनहार

एक रचयिता सृष्टि का , इक ही सिरजनहार
इक नूर का अंश सभी, इक ही तारणहार।।

भाषा और वाणी का, होता अदभुत मेल
वाणी विष का शूल है, वाणी बदले खेल

वाणी रचते वेद हैं , वाणी रचते लेख
वाणी रचना को रचे, रसना में अभिलेख

हृदय में उतरे सभी , वाणी बोली कोश
शब्द रचें नित संहिता, शब्द भरें आक्रोश

वाणी शब्द चयन करे, रण सुलह समाधान
जीवन को आजीविका, करे दूर व्यवधान

शब्द गीता ज्ञान कहे, शब्द करे कल्याण
शब्द प्रणव ओंकार है , ओम छिपा है नाम

Language: Hindi
1 Like · 12 Views
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