-एक यशोदा !!!!
आज भी मना लूं,कल भी मना लूं,
कब तब के मनाऊं,इतना रूठता है,
जोड़ लेता है रोज एक नया रिश्ता,
इसलिए वो सदा टूटता है।
संभल कर करती बात,जब वो उदास रहता है
बहते थे आंख से आंसू ,बने निशान चेहरे पर दिखता है।
एक यशोदा रोज उम्मीद से, विश्वास से
आस लगाए रहती है कि कान्हा
अपनी तकलीफों से कैसे मुक्ति पाएं,
आज के कारण उसका कल बेकार ना हो जाए
मौन रहकर बस वो ह्रदय दुआ की गुहार लगाएं।।
– सीमा गुप्ता अलवर राजस्थान