एक मोड़ ऐसा
माना कि मोड़ जरूरी हैं जिंदगी में,
लेकिन
वे मोड़,
जो सत्य का राह मोड़ दें,
जो खुशियों की छाँव मोड़ दें,
जो सकारथ की जल शिराओं को मोड़ दे,
प्रस्फुटित नवीन प्रतिभाओं को मोड़ दे,
समाज की नैतिकता को मोड़ दे,
निश्छल वैयक्तिकता को मोड़ दे,
सूर्य चन्द्र की दिशाओं को मोड़ दे,
मस्त बहती फिजाओं को मोड़ दे,
प्रेम की आकुलता को मोड़ दे,
धरा की विह्वलता को मोड़ दे,
आस की उम्मीदों को मोड़ दे,
पथ उड़ते परिंदों का मोड़ दे,
जो माँ की ममता को मोड़ दे,
समाज की समता को मोड़ दे,
क्यों देते हो ऐसे मोड़,
बहुत घुमाए ऐसे मोड़,
नहीं चाहिए ऐसे मोड़,
बस रहने दो ऐसे मोड़।
माना कि मोड़ जरूरी हैं जिंदगी में,
लेकिन
वे मोड़,
जो वक्रता असत्य की मोड़ दें,
राह न अमरत्व की मोड़ दें,
दिलों की जो आह मोड़ दें,
उठते चेहरे स्याह मोड़ दे,
तूफानी जल धाराओं को मोड़ दे,
और गमगीन फिजाओं को मोड़ दे,
पथरीले मानव पथ को मोड़ दे,
वाक कटीले रथ को मोड़ दे,
दुर्लभ सफलता को मोड़ दे,
प्यार की विफलता को मोड़ दे,
मानव मन विषाक्तता को मोड़ दे,
समाज की वैमनस्यता को मोड़ दे,
ला दो ना ऐसे मोड़,
अब चाहिए ऐसे मोड़,
बस ला ही दो ऐसे मोड़,
लाना ही होगा ऐसे मोड़।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
◆अशोक शर्मा, कुशीनगर, उ.प्र.◆
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°