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30 Mar 2020 · 1 min read

दो मुक्तक -आर के रस्तोगी

मंजिल बहुत है,तो अफ़साने भी बहुत है |
जिन्दगी की राह में,इम्तिहान भी बहुत है ||
मत करो दुःख उसका,जो बीत गया है |
दुनिया में खुश रहने के बहाने बहुत है ||

खाते नहीं फल वृक्ष,जो फल से लदे हुए |
देते ज्ञानी ज्ञान को जो ज्ञान से लदे हुए ||
अज्ञानी ज्ञान को क्यों नही अर्जित करते ?
क्योकि वे काफी अज्ञान से है लदे हुए ||

आर के रस्तोगी
गुरुग्राम (हरियाणा)

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 509 Views
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