एक मुक्तक
एक मुक्तक
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दुःख दर्द वेदनाएं सुनाता रहा हूँ मैं।
जो झेली यातनाएं सुनाता रहा हूँ मैं।
वैसे तो लाखों दानवीर कर्ण हैं यहाँ~
पर भूख की कथाएं सुनाता रहा हूँ मैं।।
✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’
एक मुक्तक
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दुःख दर्द वेदनाएं सुनाता रहा हूँ मैं।
जो झेली यातनाएं सुनाता रहा हूँ मैं।
वैसे तो लाखों दानवीर कर्ण हैं यहाँ~
पर भूख की कथाएं सुनाता रहा हूँ मैं।।
✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’