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26 Jul 2024 · 1 min read

*********** एक मुक्तक *************

*********** एक मुक्तक *************
**********************************
दिन बीते ,महीने बीते,बीत गए कई साल हैं,
दुनिया पहुँची चाँद पर हमारे तो वही हाल हैं,
कैसे – कैसे रंग – बिरंगे हैँ लोग यहाँ पर,
माया-ठगनी के ठगने वाले बड़े महाजाल हैँ।
**********************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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