एक मुक्तक
एक मुक्तक
तुम्हारे बिन सताती है तुम्हारी याद की खुशबू ।
तुम्हारे बिन रुलाती है तेरे उन्नाद की खुसबू ।
लाख इंकार कर दो तुम मगर खुद जानते हो सच ।
रात दिन दिल में रहती है तेरे जज्वात की खुसबू ।।
सतीश
एक मुक्तक
तुम्हारे बिन सताती है तुम्हारी याद की खुशबू ।
तुम्हारे बिन रुलाती है तेरे उन्नाद की खुसबू ।
लाख इंकार कर दो तुम मगर खुद जानते हो सच ।
रात दिन दिल में रहती है तेरे जज्वात की खुसबू ।।
सतीश