एक मुक्तक….
सुसंस्कृत सभ्य शालीना, सुघड़ सोंणी सजीली-सी।
सुरीली सात सुर साधे, शिवा-सी शुभ सहेली-सी।
सलोनी सौम्य-सी सूरत, सुपर्णा-सी सुघड़ताई,
सरलता सादगी सरसे, सहज सुखदा सुहासी-सी।
– © सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)
“सृजन के पल” से
सुसंस्कृत सभ्य शालीना, सुघड़ सोंणी सजीली-सी।
सुरीली सात सुर साधे, शिवा-सी शुभ सहेली-सी।
सलोनी सौम्य-सी सूरत, सुपर्णा-सी सुघड़ताई,
सरलता सादगी सरसे, सहज सुखदा सुहासी-सी।
– © सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)
“सृजन के पल” से