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16 Oct 2022 · 1 min read

मुक्तक द्वय…

1222 1222 1222 1222

परम प्रभु श्रीराम के चरणों में सादर समर्पित…

भगत का मान तुम रखते, विपद् हर निज कृपा करते।
अहर्निश ‘राम’ अधर मेरे, यही इक नाम जपा करते।
न कोई और भाता अब, रिदय में बस तुम्हीं तुम हो,
नयन में आँक छवि तेरी, पलक मेरे झपा करते।१

सरल मन के चपल मनके, न जाने क्यों उलझ जाते।
मिले जब घात अपनों से, पुहुप मन के मुरझ जाते।
घुले रस नेह का कुछ तो, हुआ नीरस बहुत जीवन,
हवा कोई चले ऐसी, सभी किस्से सुलझ जाते।२

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)
“मनके मेरे मन के” से

Language: Hindi
2 Likes · 287 Views
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