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1 Dec 2021 · 1 min read

एक मासूम कली हूं मैं …( एक मासूम बच्ची की आह )

क्या मैं औरत हूँ ?

माँ- बाबा तो कहते हैं ,

मैं एक छोटी बच्ची हूँ।

मैं तो अपने बाबा के आँगन की ,

सबसे नाज़ुक कली हूँ।

जो है अभी अधखिली ,अधपकी ,

एकदम मासूम ,अबोध बालिका।

जिसने अपनी नन्ही जुबां से ,

अभी- अभी बोलना सीखा है।

शब्दों को तोलना , भावनाओं /मंशाओं को,

समझना मुझे अभी नहीं आता।

मेरी नन्ही आँखों ने अभी- अभी तो दुनिया देखी है,

दुनिया को समझना मुझे नहीं आता।

मुझे तो बाबा ने हाथ पकड़ कर चलना सिखाया ,

अभी भी सीखा रहे हैं।

मेरे नन्हे से दिल ने अभी -अभी- बाबा का स्नेह, माता की ममता ,

और भाई- बहन के प्यार को समझना सीखा है।

प्यार का कोई और रूप भी है ,

मैं जानती तक नहीं।

मेरे खेल-खिलोने, गुड्डे- गुड़ियाँ यही

मेरा सारा संसार है।

इससे अधिक तो मैं कुछ भी जानती नहीं।

मेरे सपने ,मेरे अरमान अभी ठीक तरह से पके भी नहीं,

यह सच है ,माँ-बाबा ठीक करते हैं,।

मैं औरत नहीं,

मैं तो अभी औरत बनी ही नहीं,

मैं क्या जानू औरत होने का मतलब !

तुम मेरे साथ क्या करने वाले हो अंकल !

या क्या करोगे ?,

तुम मुझ जैसी अबोध /मासूम बालिका को ,

क्या समझ रहे हो ?

मैं तुम्हारी बेटी की उम्र की हूँ

मुझे छोड़ दो , मुझे बख्श दो अंकल !

तुम जो समझ बैठे हो मुझे ,

मैं वह नही हूं ।

मैं एक अबोध, मासूम सी बच्ची हूँ.

मैं औरत नहीं हूँ ।

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 297 Views
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