एक मां बच्चों के लिए बस मां बनी रही
कभी दिवार , कभी छत , कभी मका बनी रही
खुद में कैद होकर सबके लिए जहां बनी रही
हजारों दर्द सहती रही चुप रहकर
एक मां बच्चों के लिए बस मां बनी रही
कभी दिवार , कभी छत , कभी मका बनी रही
खुद में कैद होकर सबके लिए जहां बनी रही
हजारों दर्द सहती रही चुप रहकर
एक मां बच्चों के लिए बस मां बनी रही