एक महिला साथी आरक्षण समाप्त कर बेहतर समाज बनाने की कल्पना करे तो कैसा लगे
बहुत अच्छी पहल,
आपकी श्रेणी को भोग्या कहा.
वंचित रखा गया,
कोई अधिकार निहित नहीं थे,
एक शक्सियत.
ज्योतिबाफुले
और
सावित्रीबाई फुले ने
पहला महिला स्कूल खोला.
आप जैसी उस समय होती तो.
गोबर फेंकने वालों में होती.
बाबा साहेब ने उन्हें अपना पथ प्रदर्शक माना और उनकी लिखित *गुलामगिरी आदि पुस्तकों का अध्ययन किया.
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वंचित और शोषित वर्ग में जो
जो जाति वर्ग सम्प्रदाय अनुसूचित जाति/जनजाति श्रेणी बना कर.
उनके उत्थान के लिए मौका दिया.
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हमें उस दार्शनिक की बात वा नीति इसलिए बुरी लगे. आज भौतिक संपदा सीमट कर रह गई.
जिसने *मनुस्मृति को इसलिए जलाया.
उससे उत्पन्न समाज में असमानता बढ़ रही थी,
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आप के संज्ञान के लिए बता दूं.
उनके द्वारा प्रारूप समिति में तैयार मसौदे आगामी दो सौ साल आगे तक की लिख गये.
EWS quota लागू है.
आप कहाँ सो रही है.
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जो दंश पीड़ा आज आधुनिक भारत में आज भी
जातिगत भेदभाव वाली हो.
तो सहारा आर्धिक आधार पर क्यों.
जिन्होंने पानी और मंदिर प्रवेश लड़ कर प्राप्त किया.
आज भी दबंग पशुधन औरतों पर बुरी नजर तक नीयत बनाये बैठे.
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कुंठित मानसिकता से बाहर आओ.
दुनिया बडी रंगीन है.
एक महिला साथी आरक्षण समाप्त कर बेहतर समाज बनाने की कल्पना करे तो कैसा लगेगा आपको.
हंस महेन्द्र सिंह