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6 Sep 2021 · 1 min read

एक मरी हुई बेटी

एक मरी हुई बेटी से तलाक़शुदा ज्यादा अच्छी है
एक रोती हुई विवाहिता से अकेली बैठी ज्यादा अच्छी है
कदर नही जिसके मन सम्मान की जहां
ऐसी जगह से वो सुनसान ज्यादा अच्छी है
छोड़ आई अपने संसार को पिया की खातिर
लाड़ प्यार दुलार भूल के हो गई किसी की
अपना बैठी उसके अनजाने संसार को
अपना समझ
फिर भी न पा सकी कोई प्यार सम्मान जहां से

ऐसी अपनेपन से बेगानी बनी ज्यादा अच्छी है

रो रही भूख प्यास मारपीट से तड़प रही ऐसी साजन की चौखट से अनजानी गली ज्यादा अच्छी है

मायके से डोली उठे पिया के घर से अर्थी ऐसी दकियानूसी बातों से
बाबुल के घर लौटी ज्यादा अच्छी है

मिटा दी जाए जहां बेटी चंद रुपयों की खातिर
ऐसे साजन की सजनी होने से मां बाबा की गुड़िया बनी ज्यादा अच्छी है
एक मरी हुई बेटी से तलाक़शुदा ज्यादा अच्छी है

“कविता चौहान”

Language: Hindi
2 Likes · 6 Comments · 446 Views
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