एक बेरोजगार शायर
दुनिया में हर चीज़ मिलती
दौलत से नहीं, ऐ दोस्त
कुछ भी बढ़कर कुदरत की
रहमत से नहीं, ऐ दोस्त…
(१)
कुछ नादीदा निगाहों की
इनायत भी इसमें शामिल
मेरी शायरी सिर्फ़ मेरी
काबिलियत से नहीं, ऐ दोस्त…
(२)
किसी औरत की इज्ज़त तो
उसके इल्म या हुनर में है
बदन या कपड़े का ताल्लुक
अस्मत से नहीं, ऐ दोस्त…
(३)
हुस्न तक पहुंचने के लिए
एक इबादत भी ज़रूरी है
इश्क़ से कायनात क़ायम
ताक़त से नहीं, ऐ दोस्त…
(४)
मुझे बेरोजगार देखकर
बेकार समझना भूल है
क़िरदार से मेयार परखो
क़ीमत से नहीं, ऐ दोस्त…
(५)
मेरी नाकामी का ऐलान
तुम इतनी जल्दी मत करो
मैं कोशिश में हारा हूं अभी
हिम्मत से नहीं, ऐ दोस्त…
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Shekhar Chandra Mitra
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