– एक बालक की उन्नति अवनति में माता पिता का अहम योगदान –
-एक बालक की उन्नति अवनति में माता पिता का अहम योगदान –
भारतीय संस्कृति व सभ्यता में पुत्र के सर्वागीण विकास में माता पिता की अहम भूमिका होती है,
माता इस जगत में किसी शिशु की प्रथम गुरु व प्रथम पाठशाला होती है,
व परिवार एक ऐसी संस्था है जो बालक के बोलने ,समझने ,लोक व्यवहार, उसकी मानसिक, शारीरिक विकास में अपनी अहम भूमिका निभाता है,
जैसा बालक अपने पारिवारिक परिवेश में देखता है वो वैसा ही करता है और वैसा ही हो जाता है ,
जैसे किसी बालक को शुरुआत में अपने पारिवारिक परिवेश में सकारात्मक विचारों के सँस्कार व सकारात्मकता अपनाने की सीख दी जाती है ऐसे बालक बड़े होकर कुछ बड़ा जरूर करते है तथा सदा ही सकारात्मक रहते है ,
तथा जो बच्चे अपने पारिवारिक परिवेश में हमेशा ही नकारात्मक विचारो का संचार देखते है अर्थात परिवेश में यह देखते है की बालक को शुरुआत में ऐसे ही बोला जाता है की तूम यह नही कर सकते तुमसे ऐसा नही हो सकता ,
तूम यह नही कर पाओगे,
वे बच्चे आगे जाकर कुछ भी करने की स्थिति में नही होते है,
एक बात और है कि इसमे यह मत कहा जाए कि नकारात्मक विचारों में पास में अर्थ का अभाव हो,
अर्थाभाव की कोई गुजाईश नही है क्योंकि इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है कि ऐसे बालक व व्यक्ति जो विषम परिस्थितियों में अर्थाभाव में भी अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाते है व कर पाए है ,
उनके इस साहस में उनके माता पिता का अहम योगदान होता है,
इसलिए कहा भी गया है की एक बालक की उन्नति -अवनति में उसके माता पिता का अहम योगदान होता है ,
इसलिए माता पिता को चाहिए कि अपनी संतानों में सकारात्मक विचारों का विकास करे ,
उनकी उन्नति में सहायक बने,
भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र -7742016184 –