एक बार शहर के पार……
छांव से धूप में भी कभी आया करो
एक मकान गांव में भी बनाया करो
माना बिजली नहीं शायद गांव में,
लेकिन एक दीपक कभी जलाया करो।।
एक मकान गांव में भी बनाया करो।
आसान है यहां रिश्ता बनाना,
एक रिश्ता जरूर यहां पर बनाया करो
एक मकान गांव में भी बनाया करो। ।
माना शहर में भी है आंगन तुम्हारा,
लेकिन एक तुलसी गांव में भी लगाया करो।
उधर भी मिलते होंगे मीठे आम तुम्हे,
लेकिन कभी पत्थर से आम को गिराया करो।
छांव से धूप में भी कभी आया करो,
एक मकान गांव में भी बनाया करो।।
:– बिमल रजक