एक बार लगा लो गले तुम जरा
एक बार लगा लो गले तुम ज़रा
ये सावन भी हँस कर गुजर जाएगा
आज की रात बैठो ज़रा साथ तुम
कल से तो ये मौसम कतराएगा
भीगेंगी पलकें मेरी आंसुओं से
मगर मेरा हर एक आँसू तेरी खुशी गाएगा
तकदीर मेरी मेरा मुकद्दर भी तू है
तेरे जाने से सब कुछ बिखर जायगा
बिखर कर भी मैं तेरी खुशबू बनूँगी
मेरा आँचल जरा जो लहरा के जायगा
तेरी चाहतों से हैं इतनी बोझिल मेरी साँसें
कोई और मेरा चेहरा ना पढ़ पायगा
दिल के आईने में तेरी ही तस्वीर होगी
चाह कर भी कोइ मिटा ना पाएगा
एक बार लगा लो गले तुम ज़रा
ये सावन भी हँस के गुज़र जायगा