****एक बार फिर****
***एक बार फिर***
एक बार फिर चलो अजनबी बन जाये,
सब भूलकर दुनिया मे खो जाये हम।
वक्त बेवक्त मधुर यादो के पिटारो से,
कुछ सुनहरे मोती चुराकर लाये हम।
एक बार फिर चलो अजनबी बन जाये
अन्धेर कलुष इन बेपनाह रातो मे,
प्यार के झिलमिल दीप जलाये हम।
जुदाई के इस अमिट कलुष को,
अपने बहते अश्को से धो डाले हम।
एक बार फिर चलो अजनबी बन जाये
जिन्दगी की डगर है बडी मुश्किल,
उम्मीद के झगमग दीप जलाये हम।
अन्धे बेपनाह अपने इन ख्वाबो को,
चलो उसूलो का तराजू दिलाये हम।
एक बार फिर चलो अजनबी बन जाये