एक बात यही है कहना !!
हो गई एक विडम्बना
ना चाहते हुए भी
वो मुझसे प्यार करने लगा।
जानता था स्थिति मेरी और
मेरे मन भी भावना,
ना चाहते हुए भी
नहीं चाहता मुझे समझना।
मेरा तो स्नेह भरा एहसास था
उसका मिलना खास था
ना चाहते हुए भी
उसके लिए शायद वही प्यार था!!
हो सकता है ऐसी ही हो
फितरत उसकी,,,
पर मेरे लिए तो वो
मेरे बीती उदासी की मुस्कान था।
हां,वो इस बात को कहां समझता?
हर बात में गलत अर्थ निकालता
मधुर रस लिए इस मिलन को
मैंने कड़वाहट से नहीं भरना चाहा।
ना चाहते हुए भी लिखना,
लिख जाती है कलम
पर,यादों का क्या,,
कभी भी, कहीं भी जानती है महकना।
मेरे लिए तो वो प्यार, मोहब्बत,इश्क
कुछ भी तो नहीं था!!!
बस नेह पूरित मधुर मिलन था।
जीवन सफर में मकसद मेरा
सबसे प्रीत रखना
नहीं चाहती किसी से भी
भूल कर नफरत रखना,
बस एक ही बात चाहती कहना
मुस्कान हो चेहरे पर
बातों में रहे सरसता।
-सीमा गुप्ता, अलवर राजस्थान