एक बात… पापा, करप्शन.. लेना
ये विनती है या प्यार,पापा आप समझ लेना।
किसी को कुछ दें नहीं सकते,तो दिल में ये ग़म मत लेना।
पापा कभी करप्शन मत लेना।
हमें ना चाहिए कोई ऐसा खिलौना, जिसपे दूसरे का हक़ हों।
मैं खेल लूंगी अपनी जज्बातों से, नहीं तो पूरानी खिलौना से।
बस उंगली पकड़कर सच्ची राह दिखा देना।
पापा कभी करप्शन मत देना।
हमें नहीं चाहिए ठाठ-बाठ कोई राजवाड़ा।
आपके साथ ‘पापा’ रूखी-सुखी रोटी लगें हैं हमें पाव वाड़ा।
फिर भी अगर करूं मैं कोई हठकानी तो हमें दो-चार लपड लगा देना।
मगर पापा करप्शन ना लेना-ना देना।
देश के खातिर सदा जीना।
और हमें उस राह पर ले चलना ।
जहां से सुनाई दें वीर कथा के गुणगान।
पापा देश के हर फ़र्ज़ सिखा देना।
पापा कभी करप्शन मत देना।
ये हर नागरिक की है जिम्मेदारी।
पापा हर काम में दिखाना निष्ठा कारी।
चाहे लगाने पड़े जान के कोई बाज़ी
चाहे कोई हो मजबूरी,पापा करप्शन मत लेना
नीतू साह
हुसेना बंगला, सीवान-बिहार