* एक बहिन की पीड़ा *
यह कविता नहीं है एक बहन की पीड़ा है ********************************
राखी की पूर्व सन्ध्या पर स्मरण दिलवाने के वास्ते ताकि नहीं हो भाई-बहिन के अलग- अलग रास्ते
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आज राखी है
फिर भी कुछ
बहनों के दिल
में तन्हाई है
क्या
भारतीय संस्कृति
बिकती जा रही है
क्या त्योंहार की महिमा
टिक नहीं पायी है
हाल बतला न पाती है
बहन ना चाहती है दौलत
और गहने
भाई बहिन का प्यार
कहीं आज
हो गया दरकिनार
होता था कभी
इस धागे से इतना प्यार
आज कहां खो गया
आपस का वो प्यार
आज राखी है फिर भी
कहां अपने दिल को
बहना रख पाई है ।।
?मधुप बैरागी