एक बस तेरी तरह
चिलमिलाती धूप है तू, सिकसिकाती शाम है
एक बस तेरी तरह, अब मुझे आराम है
बड़ी तड़प थी दिल में मेरे, एक तुम्हारे वास्ते
बिन तुम्हारे थी तन्हाई, हर तरफ मेरे रास्ते
अब तेरी यादों में कोई, दूसरा मेहमान है
एक बस तेरी तरह, अब मुझे आराम है
हर तरफ महफिल में थी, एक तुम्हारी ही तलब
हर तरफ फूलों की बारिश थी मुझसे लेकर तुम तलक
इस अकेलेपन में गूंजे, एक सिर्फ तेरा नाम है
एक बस तेरी तरह, अब मुझे आराम है
प्यार था खुद से भी ज्यादा, हमें तुम्हारी याद से
मगर हर एक किश्मत में लिखे,अनकहे से हादसे
कुछ एक भुगत रहे हम भी,शायद यही पैगाम है
एक बस तेरी तरह, अब मुझे आराम है
… भंडारी लोकेश ✍?