एक बगिया की फुलवारी के वह दो फूल![प्रतिकात्मक.प्रसंग]
….. भाग एक- . प्रथम चरण का संदर्भ ! एक बगिया की वह फुलवारी,जो हरी-भरी बहुत ही प्यारी थी,
इस बगिया में खिल आए थे,फूल अनेक! दिखती थी न्यारी सी!
इन फूलों के रुप रंग के साथ साथ, भाव -स्वभाव थे प्रतिकूल!
इस बगिया के माली को भाते थे यह सब ही फूल !
माली इस बगिया का शुभ चिंतक, और अपने बचनो का बंधक !
उसी बगिया का स्वामी भी, नेत्र हीन के साथ ही था विचार हीन!और स्वयं को असमर्थ पाता था ,यही भाव वह जतलाता था! इस बगिया में रहता था,एक पारखी निश्छल स्वभाव का !
जिसके हाथ में काम था,सबको सहिष्णुता के साथ में निर्वाह का! इस बगिया में एक भंवरा आकर ठहर गया , ,
उस भंवरे के मन में था मैल भरा पड़ा !,
वह स्वामी को उकसाने लगा था!
यहाँ फुलवारी में फूल चहकने लगे,और अपनी–अपनी महक बिखेरने लगे ! अब इन फूलों के लिए,निर्धारित करना था इनका स्थान!किस फूल को मिले कौन सा सम्मान !
इस पर तकरार बढ़ने लगी,कैसे सुलझाएं इसे यह समस्या थी बड़ी! तब पारखी ने यह राह सुझाई,इन फूलों में प्रतियोगिता कराई ! अब फूलों की प्रतियोगिता का आयोजन किया गया!
आयोजन में जब एक पक्ष के फूल ने अपने कौशल को दिखाया!
दूसरा पक्ष उसके समक्ष नहीं ठहर पाया !
यह हार दूसरे पक्ष को नहीं भायी थी, तब उन्होंने विजयी हुए पक्ष के लिए एक प्राण घातक योजना बनवाई थी!
इनकी इस योजना को ,पारखी समझ रहा था,
इस लिए उसने इससे बचने का मार्ग ,सामने इनके रखा था!
पारखी का सुझाया मार्ग काम आ गया था ,
इन्हें अपने को जीवित रहने का, अब सामना करवाना था!
देख इन्हें जीवित यह बहुत बौखला गए थे,
अपने किए कुचेश्ठा पर यह नही पछता रहे थे!
माली से लेकर अन्य सभी ने,खुशी थी जतलाई !
अब इन दोनो फूलों के समूहों को,अलग-अलग बगिया थमाई !
एक ओर उन फूलों को दे दी बगिया बनी बनाई,
और दूसरी ओर, इन फूलों के हिस्से में बंजर भूमि थी आई!
बंजर भूमि को इन्होंने,अब खूब सुु्ंदर तरह से सँवारा था,
इनके फूलों की मनोहर छवि से,सारा जग महकता जा रहा था !अब अपनी इस बगिया में इन्होंने, अपनों को वहाँ बुलवाया था,
देख इनकी इस बगिया को, उन फूलों का जी ललचाया था!
इनके लालच ने इन्हें कर दिया मजबूर बहुत ही ज्यादा,
बना लिया तब इन्होंने , इसको पाने का इरादा !
दिया निमंत्रण अपनी बगिया में बुलवाया गया,
और दाँव लगाने के लिए इन्हें खूब उकसाया !
यह फूल थे अच्छे दिल वाले,इन्होंने यह स्वीकार किया,!
नहीं जाना उनका मंतब्य,और बिना सोचे दाँव लगा दिया!!
शेष भाग दो में ………..जारी है!