एक प्रार्थना
एक प्रार्थना
तुम्हारी आशीष की छाया में
अनंत प्रेम की धारा बहाए,
बस प्रार्थना इतनी सी है
प्रार्थना कामना ना बन जाए।
तुम्हारे चरणों की धूल से
सुशोभित मेरा मस्तक हो,
बस किसी की व्यथा आँसुओं में
नाम ना मेरा अंकित हो।
द्वार तेरे चाहे ना आऊं
दीन द्वार पर मेरी उपस्थित हो,
फूल माला न चढ़ाऊं तुझे
हर गीली आँखें मेरी अतिथि हो।
यदि तूफान के प्रभाव में
दिशा मेरी विपरीत हो,
हाथ पकड़ लेना मेरा तुम
इतनी मधुर जीवन का संगीत हो।
बिंदेश कुमार झा