*”एक प्यार ऐसा भी”*
एक बात कहूँ मेरे पति मुझसे बहुत प्यार जताते हैं !
वो कोई भी बात अपने आप मुझको नहीं बताते हैं !!
बिन पूछे बताना तो दूर पूछूं अगर तो भी छुपा जाते हैं !
ज़िद्द करूँ तो मुझे टेंसन ना हो ये बहाना बना जाते हैं !!
जब भी कोई बात हो सलाह की तो वो इग्नोर मुझे करते हैं !
पति मेरे ऐसे हैं कि हर बड़ा फैसला खुद अकेले ही करते हैं !!
बेमतलब के फैसले वो सौंप के मुझे बड़ा अहसान जताते हैं !
कि बिना मेरी मर्जी के वो देखो एक कदम भी नहीं उठाते हैं !!
जब बात हो समझदारी की समझदार मुझे बताते हैं !
खुद से भी ज्यादा मुझको समझदार वो कह जाते हैं !!
अगर दूँ मैं कोई सलाह तो तुम्हें नहीं पता बतलाते हैं !
बिन पानी सुखे तालाब में मुझको डुबकी लगवाते हैं !!
घर की जिम्मेदारी मेरे कन्धों पर डाल वो कमाने जाते हैं !
मेरे काम की कोई क़ीमत नहीं बस वही कमा के लाते हैं !!
अदृश्य जंजीर बांध मेरे पैरों में मुझको घर छोड़ जाते हैं !
खुद आजाद पंछी ज्यों सारी दुनिया का चक्कर लगाते हैं !!
अनजानी जंजीरों में जब खुद को जकड़ा हुआ पाती हूँ !
सोने के पिंजरे में कैद पंछी ज्यों छटपटाकर रह जाती हूँ !!
पंछी बन गगन में उडूं अब तो बस ऐसे सपने ही आते हैं !
क्यों शादीशुदा औरतों के स्वयं के अस्तित्व मिट जाते हैं !!