एक प्यारी सी गुड़िया।
सुबह-सवेरे अक्सर मुझको,
एक प्यारी सी गुड़िया नज़र आती है,
ढेरों आशीष मैं देता उसको,
जब-जब वो मुस्काती है,
अपनी मस्ती में चहलकदमी करती,
रोज़ स्कूल वो जाती है,
बच्चे तो सारे होते हैं प्यारे,
वो भी दिल को लुभाती है,
अपनी धुन में चलती वो,
जैसे चिड़िया कोई उड़ती हो,
दिल कहता मेरा पूछूं उससे,
कि कौन सी क्लास में पढ़ती हो,
जाने कैसा रिश्ता उससे,
जाने कैसा उससे लगाव है,
प्यारी सी एक गुड़िया है वो,
कुछ अलग ही उससे जुड़ाव है ,
बच्ची के प्रति ये स्नेह मेरा,
एक प्यारा सा किस्सा है,
मासूम सी एक मुस्कान उसकी,
मेरे जीवन का हिस्सा है।
कवि-अम्बर श्रीवास्तव