एक पीपल का कल फिर निधन हो गया
एक पीपल का फिर कल निधन हो गया
अब कहाँ घंट टाँगेंगी,
अगली सदी,
एक पीपल का फिर कल निधन हो गया |
कब ये बदलेगा मौसम,
पता है किसे,
वह न आया, बुलाया
गया है जिसे,
पर किया दुश्मनी ने
गजब दलबदल,
साँप का नेवलों से मिलन हो गया |
क्या घटे, कब घटे, दुख
रहा यह सता,
रोज अपना बदलती है,
रँग जब लता,
नए कपड़ों का ऐसा
हुआ है चलन,
अब दुकानों से गायब चिकन हो गया |
अग्निबाणों से कब यह,
डरा है गगन,
बम गिरा, पर कहाँ यह,
मरा है यतन,
लौट आया उपग्रह
गया चाँद तक,
इस तरह से सफल है मिशन हो गया |
शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
मेरठ