एक पशु की अभिलाषा
हम बेजुबान नहीं बता सकते दर्द अपना ,
हमारे दर्द से कुछ तो रखो तुम संवेदना ।
हम नहीं मांगते तुमसे तुम्हारी मलकियत ,
सिर्फ एक रोटी अपने दर पर हमें दे देना ।
हमारे गम / खुशी से भले न रखो वास्ता,
मगर अपनी खुशी में हमें ना समझे खिलौना।
तुम अपने सभी त्योहार मनाओ सा आनंद ,
मगर अपनी मस्ती में मानवता को न भूलना ।
हम में भी है प्राण,रक्त ,एक सम्पूर्ण जीवन ,
और तुम जैसे ही ईश्वर की एक संरचना ।
हम पशुओं की नहीं होती बेशुमार चाहते ,
बस एक ही चाहत ! की हमें जीव समझना ।