एक नूर है
एक नूर है एक ही नाम।
तेरे अल्ला मेरे राम।।
जाति धर्म में क्या रक्खा है।
तू इंशा है मैं इंसान।।
मंदिर मे हम ईद मनाएं।
मस्जिद में हो गीता पाठ।।
अरदास करें गिरजाघर में।
गुरुद्वारे में दीप जलाएं।।
होली ईद हम साथ मनाएं।
लंगर हो चौबारे में।।
एक साईं के हम हैं बंदे।
नफरत से क्या है काम।।
तेरे अल्ला मेरे राम।
हम इंसानों की बस्ती में।।
भेदभाव फैलाने वाले।
नफरतों के बीज लगाकर।।
आपस में लड़वाने वाले।
कुछ इधर भी हैं कुछ उधर भी हैं।
नजर यहां पर रखे हुए हैं।
तुम वहां निगरानी रक्खो।।
तेरी बेटी क्या मेरी बेटी।
दोनो की निश्चल मुस्कान।।
एक नूर है एक ही नाम।
तेरे अल्ला मेरे राम।।
उमेश मेहरा (शिक्षक)
गाडरवारा (m,p,)
9479611151