एक नारी की वेदना
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रात्रि को जब तुम अपने,
शयन कक्ष में सोने आओगे।
मिलूंगी नही वहां पर मैं
फिर तुम मन में पछताओगे।।
जा रही हूं मै उस जगह,
जहां से कोई लौट पाया है।
मृत्यु के नेक करो ने ही,
मुझको तुमसे छुड़ाया है।।
प्यार किया है जीवन भर,
तुमसे कुछ न मैने छिपाया।
शक करते रहे मुझ पर तुम,
मृत्यु तक तुमने ही पहुंचाया।।
छोड़ रही हूं इस जग को मै,
फिर कभी न वापिस आऊंगी।
जितने चाहे प्रयत्न करो तुम,
तुम्हारे सपनो में भी न आऊंगी।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम