एक नारी की वेदना
मरते दम तक तुम याद आओगे मुझको
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वादा किया था मेरे ख्वाबों में आया करो।
इस तरह से मुझे तुम कभी न सताया करो।
फुर्सत नही थी तुम मुझे साफ मना कर देते।
मेरे जख्मों पर नमक इस तरह लगाया न करो।।
वादा करके जल्दी ही तुम मुकर जाते हो।
पता नही मुझे तुम अब किधर जाते हो।
क्या कोई दूसरा घर देख लिया है तुमने।
मुझे बर्बाद करके उसके घर क्यो जाते हो।।
दिन रात राह तुम्हारी तकती हूं मै।
न कुछ खाती पीती न सोती हूं मै।
भले ही मेरे पास आकर चले जाना।
न रोकूंगी तुमको वादा करती हूं मै।।
दिल दिया था तुमने,तो दिल दिया था मैंने।
बात कोई न छिपाई तुमसे आज तक मैंने।
फिर हर बात क्यों छिपाते हो तुम मुझसे।
दिल देकर तुमको क्या कसूर किया था मैंने।।
मोहब्बत के बदले नफरत दी है तुमने।
हर बात में अपनी चलाई हैं तुमने।
ऐसे हालात में अब क्या करू मैं।
ये कैसी उल्टी रीति चलाई है तुमने।।
दुखी बहुत हूं आकर जहर दे दो मुझको।
अपने हाथ से कफ़न उढ़ा दो तुम मुझको।।
इस तरह से तुम्हारे रास्ते से मै हट जाऊंगी।
मरते दम तक तुम याद आओगे मुझको।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम