एक नया प्रस्थान होगा
इस तिमिर के पार फिर
एक नया प्रस्थान होगा।
कूच होगी निशा गहरी
फिर नया विहान होगा।
वितान में मन के पुनः
दीप्त रवि प्रकाश होगा।
संयमन निश्वास का कर
फिर सुवासित श्वांस होगा।
आस का कलरव पुनः
मन में कूजेगा कभी ।
प्राण में नव चेतना भर
फिर थमेगी मन मही।
माना है विप्लव बहुत
दुर्दिन अहर्निश है अभी।
पर समय की थाम बाहें
पहुंचेंगे उस पार ही ।