Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Oct 2024 · 1 min read

एक नज़्म _ सीने का दर्द मौत के सांचे में ढल गया ,

2 अक्टूबर गांधी जयंती के शुभ अवसर पर
इन पंक्तियों को समर्पित करती हूँ ..
नीलोफर खान …
❤❤❤❤❤

सीने का दर्द मौत के सांचे में ढल गया ,
तुम क्या गये कि कौम का चेहरा बदल गया ..

सींचा था तुमने जिस ज़मीं को अपने खून से,
उस सरज़मीं के सर का ही सेहरा बदल गया .

सब बंट रहे हैं जातियों के नाम पर यहाँ ,
नेता भी हो गए हैं बड़े स्वार्थी यहाँ ..

किसकी मजाल है कोई अब क्रांति करे ,
तोड़े हुजूम जुल्म का और शांति करे ..

वीरों को जन्म देने का लहजा बदल गया ,
‘आजाद ‘ तेरे देश का इंसाँ बदल गया …🙏

शिक्षा के नाम पर सभी व्यापार ही करें ,
विद्यार्थी गुरु का तिरस्कार ही करें ..

थैले मे भर के नोट दें तब नौकरी मिले ,
नोटों की हो कमी तो कोई छोकरी मिले ..

आँखों से एतबार का पर्दा उतर गया .
‘नेहरू’ तुम्हारे देश में क्या क्या बदल गया …🙏

गीता रही ना हाथ में खादी भी खो गया ,
पढ़ते हैं सब वकालत इंसाफ सो गया …

बूढों की ना हिफाज़त , ग़रीबों का ना भला ,
नफ़रत की आग से सभी का है घर जला…

लोगों में जोश होश का जज्बा किधर गया
‘गांधी’ तुम्हारे देश का नक्शा बदल गया . 🙏

✍️नील रूहानी .. 02/10/2024,,,
( नीलोफ़र खान ,)

20 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं सफ़र मे हूं
मैं सफ़र मे हूं
Shashank Mishra
*तू और मै धूप - छाँव जैसे*
*तू और मै धूप - छाँव जैसे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हादसे जिंदगी में मेरे कुछ ऐसे हो गए
हादसे जिंदगी में मेरे कुछ ऐसे हो गए
Shubham Pandey (S P)
कुछ शामें गुज़रती नहीं... (काव्य)
कुछ शामें गुज़रती नहीं... (काव्य)
मोहित शर्मा ज़हन
अपराध बोध (लघुकथा)
अपराध बोध (लघुकथा)
गुमनाम 'बाबा'
जीवन
जीवन
लक्ष्मी सिंह
बहुत मुश्किल होता हैं, प्रिमिकासे हम एक दोस्त बनकर राहते हैं
बहुत मुश्किल होता हैं, प्रिमिकासे हम एक दोस्त बनकर राहते हैं
Sampada
अगर प्रेम है
अगर प्रेम है
हिमांशु Kulshrestha
चीख़ते हैं दर-ओ-दीवार नहीं होता मैं
चीख़ते हैं दर-ओ-दीवार नहीं होता मैं
पूर्वार्थ
#सत्यकथा
#सत्यकथा
*प्रणय प्रभात*
जीवन सुंदर गात
जीवन सुंदर गात
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal
गर्म साँसें,जल रहा मन / (गर्मी का नवगीत)
गर्म साँसें,जल रहा मन / (गर्मी का नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
विषय - स्वाधीनता
विषय - स्वाधीनता
DR ARUN KUMAR SHASTRI
यह जो मेरी हालत है एक दिन सुधर जाएंगे
यह जो मेरी हालत है एक दिन सुधर जाएंगे
Ranjeet kumar patre
भूल ना था
भूल ना था
भरत कुमार सोलंकी
अन्तर मन में उबल रही  है, हर गली गली की ज्वाला ,
अन्तर मन में उबल रही है, हर गली गली की ज्वाला ,
Neelofar Khan
और तो क्या ?
और तो क्या ?
gurudeenverma198
फिर से जिंदगी ने उलाहना दिया ,
फिर से जिंदगी ने उलाहना दिया ,
Manju sagar
3332.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3332.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
ध्रुव तारा
ध्रुव तारा
Bodhisatva kastooriya
तलाक
तलाक
Shashi Mahajan
सभी लालच लिए हँसते बुराई पर रुलाती है
सभी लालच लिए हँसते बुराई पर रुलाती है
आर.एस. 'प्रीतम'
सत्य यह भी
सत्य यह भी
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
ना रहीम मानता हूँ ना राम मानता हूँ
ना रहीम मानता हूँ ना राम मानता हूँ
VINOD CHAUHAN
तुम
तुम
Sangeeta Beniwal
" यहाँ कई बेताज हैं "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
"मगर"
Dr. Kishan tandon kranti
महल था ख़्वाबों का
महल था ख़्वाबों का
Dr fauzia Naseem shad
ज़ख़्म गहरा है सब्र से काम लेना है,
ज़ख़्म गहरा है सब्र से काम लेना है,
Phool gufran
*नल से जल की योजना, फैले इतनी दूर (कुंडलिया)*
*नल से जल की योजना, फैले इतनी दूर (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
Loading...