“एक नई सुबह आयेगी”
“एक नई सुबह आयेगी”
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एक नई सुबह आयेगी ,
अपने को अपनों से मिलाएगी,
ना कोई वैर भाव होगा ,
ना कोई ईर्ष्या द्वेष होगा ,
ना कोई तिमिर ॲंधियारा होगा ,
बस, चहुंओर स्वर्णिम सवेरा होगा,
हर किसी का सपना अधूरा,पूरा होगा,
इंतज़ार है, कब वो नई सुबह आयेगी।
सर्वत्र गरीबी का दंश मिट गया होगा,
हर चेहरे पे मुस्कान की लहर होगी,
हर कोई एक दूसरे को सम्मान देंगे,
एक ऐसी सुबह का आगाज़ होगा,
जिसमें पूरे दिन का क्रियाकलाप होगा,
सत्कर्म की राह चल प्रेम व विश्वास होगा,
दुनिया में सर्वत्र पाप का विनाश होगा,
नई उम्मीदों के साथ नया सवेरा होगा।।
( स्वरचित एवं मौलिक )
© अजित कुमार “कर्ण” ✍️
~ किशनगंज ( बिहार )
दिनांक :- 03 / 04 / 2022.
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