एक नई सड़क
सदियों से चल रहे
अब उखड़ने लगी,
उड़ उड़ कर धूल
आंखों में जाने लगी,
मुंह पर गिरने लगी….
भाग रहे हैं सब और
चलने के लिए
वही सुस्त नियम,
पुराने और अधूरे से….
नए नियमों के साथ
एक नई सड़क
अब तो बननी चाहिए…
छायादार, घना
बरगद का पेड़,
शीतल जल का प्याऊ,और
वो आम का पेड़,
जो लगाया था शायद
मेरे दादा के परदादा ने….
उन्हें सहेज लें और
उखाड़ फैंके बाकी
सब झाड़- झंखड….
समय आ गया
नए रूप बाली
एक नई सड़क,
हर घर तक
अब तो बननी चाहिए….