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24 Sep 2024 · 1 min read

एक दो गाना संस्कृत में

एक गजल आधारित गीत*
(मुखं)
अयं युवकः वालुकायाः ​​इव स्खलितः आसीत् ।
कस्यचित् यौवनस्य पालनं मा कुरुत।

(अन्तरालः एकः) २.
नित्यं प्रवहन्त्याः नदीयाः लघुधाराः।
कदाचित् नदीतीरे सर्वं भङ्क्ते ।
सा मौनप्रवाहिता वार्ता कस्यचित् न प्राप्नोति
कदाचित् नदीजलेन कोलाहलः भवति ।
स्खलनं आरब्धवान्…

(द्वि)
कदापि कस्यचित् वचनं न शृणोति।
न चाहं जानामि दिनानि न रात्राणि।
सा स्वेच्छानुसारं सर्वदा एवम् कुर्वती अस्ति।
कदाचित् सुखं प्राप्नुमः, कदाचित् किकं प्राप्नुमः।
परन्तु एकस्मिन् दिने एषा कथा वास्तविकता भविष्यति।
अयं युवकः वालुकायाः ​​इव स्खलितुं आरब्धवान् ।

(त्रयः)
कस्यचित् स्मरणं कृत्वा दिवसं व्यतीतवान्।
,न धारयति स्म न कस्यचित् आसीत्
न खादितवान् ।
परन्तु अयं युवकः पुनरागमनात् एव अवशिष्टः आसीत् ।
कस्यचित् कियत् भेदः भवति ?
परन्तु अकारणं अहं पुरातनदिनानि स्मरामि।
अयं युवा वालुका इव स्खलितुं आरब्धवान्…

कलम घिसाई

Language: Sanskrit
22 Views
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