एक दीप हर रोज जले….!
” हर घर… हर द्वार…
फूलों से महकती सारा संसार मिले..!
रोशनी से चमकता हर द्वार…
हर रोज एक दीप जले…!
दीया और बाती का मिलन…
दुःखी मन को कुछ शांत कर जाता है…!
खुशियों की स्वागत् कर…
उत्साह में प्रेम गीत गा जाता है…!
जीवन के हर एक पहलू में…
सदा खुश रहना हमें सिखाता है…!
खुशियों का नाता मानव से…
जीवन भर ऐसा होता है…!
एक दीया और बाती के मिलन से…
उम्मीदों के कुछ दीप जल जाता है…!
हर घर…हर द्वार…इस जहां में..
प्रेम-प्रीत मिले…!
दीपों की रोशन से सारे जहां में…
सद्भावना के रीत मिले…!
एक दीप हर रोज जले…!! ”
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