एक दीप प्रेम का
एक दीप प्रेम का जलाकर तो देखिए,
एक दीप उम्मीद का जलाकर तो देखिए।
उदासियाँ न पसरे चहुँओर ना हो कोई क्रंदन ,
एक दीप अपनत्व का जलाकर तो देखिए।
लोग जलते रहे एक दूजे की तरक्की देख,
एक दीप देहरी पर विश्वास का जलाकर तो देखिए।
कुछ थी ऐसी बातें धीरे- धीरे से गर कर गई,
एक दीप हवाओं में नेह का जलाकर तो देखिए ।
नफ़रतों का जहर बहुत फैला दिया फ़िजाओं में,
एक दीप दोस्ती का आप जलाकर तो देखिए।
मजबूरियां खत्म हो जाएगी अपनो का संग पाकर,
एक दीप मधुर संबंधों का जलाकर तो देखिए।।
डा राजमती पोखरना सुराना