एक दीप जलाया था मैने
तम के उस गहरे साये से
अस्तित्व विहीन समाए से
निशा के उद्वेलित आवेशो से
अंतः मन मे घबराए से
तेरी शरण मे आकर
कुछ ऐसे बचाया था मैने
एक दीप जलाया था मैने…..
निराशाओ मे सो जाना
ज्ञान कही पर खो जाना
सच्चाई से हो अनिभिग्य
मै मै बस मै हो जाना
सब कुछ तुझको समर्पित कर
खुद को बचाया था मैने
एक दीप जलाया था मैने…..