एक दिन मैं उठूंगा और
एक दिन मैं उठूंगा और
मुझे याद नहीं आएगा कि
मैंने पूरे जीवन क्या लिखा
और
फिर दुनिया की हर कविता मेरी होगी
वैसे ही जैसे
उस पहले दिन थी
जब मैंने बचपन में पहली कविता
किसी पुरानी मैगज़ीन में पढ़ी थी।।
एक दिन मैं उठूंगा और
मुझे याद नहीं आएगा कि
मैंने पूरे जीवन क्या लिखा
और
फिर दुनिया की हर कविता मेरी होगी
वैसे ही जैसे
उस पहले दिन थी
जब मैंने बचपन में पहली कविता
किसी पुरानी मैगज़ीन में पढ़ी थी।।