Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 May 2024 · 2 min read

एक दिन बिना इंटरनेट के

एक दिन बिना इंटरनेट के कैसे बीता,
आओ सुनाऊँ यह कहानी, बस दो दिन है पुरानी।

रात के आंँधी तूफान ने इंटरनेट को हिला दिया,
वाई-फाई का सिग्नल हर फोन से उड़ा दिया।

अफसोस तो इस बात का कि सब टी वी भी वाई फाई से चलते थे,
घर में जिसे देखो वह यहाँ- वहाँ उचकते से फिर रहे थे।

पूछो कुछ , जवाब कुछ और आता था,
हर बार बात करने का वॉल्यूम बढ़ता जाता था।

आज की जनरेशन तो नैट की आदी हो गई है,
फोन,लैपटॉप ,कंप्यूटर, टीवी सब वाईफाई पर टिकी है।

मौसम खराब मोबाइल डाटा भी काम ना कर रहा था,
कंपनी पर कम्पलेंट का कोई असर ना हो रहा था।

सुबह के नाश्ते का समय कहांँ चला गया किसी को पता ना चला,
वाईफाई की कम्पलेटों से ही बस सब ने पेट भरा।

थोड़ी सी तसल्ली तब हुई जब मैकेनिक का फोन आया,
वाईफाई को चलाने हेतु एक कर्मी कंपनी से घर आया।

उसे देखकर हर चेहरे के रौनक ही बदल गई,
मानो जैसे कोई कीमती खोई हुई चीज मिल गई।

सब चैक करके जब उसने कहा यहांँ तो सब ठीक है,
बाहर कहीं किसी खंबे में ही कुछ गड़बड़ है।

चेहरे पर आई मुस्कान यूंँ गायब हो गई जैसे..
मेहमान के आने से पहले ही बिल्ली दूध चट कर गई।

घर में जितने प्राणी उतनी ही अलग वाणी,
कैसे वाईफाई चले हर तरफ चल रही थी कारसतानी।

इन्ही सब चक्करों में किसी को लंच याद ना आया,
मैं बहुत खुश थी चलो काव्य लिख डाला।

पहली बार ऐसा, सब घर में पर ना नाश्ता ना लंच,
5:00 के बाद शाम को नेट हुआ बंदोबस्त ।

जल्दी से चाय बनाने का ऑर्डर आया,
सबने भी चाय ब्रेड खाने का मन बनाया।

सबसे अधिक मजा तो तब आया
जब रात का खाना बाहर से आर्डर करवाया।

नेट गया, दिन कैसे बीता मुझे तो बहुत मजा आया,
मैंने तो दो-तीन कविताओं का प्रारूप बनाया।

अगर खाने से छुट्टी मिलती हो तो प्रभु से है बस एक कामना ,
महीने या हफ्ते में एक बार नैट का कर दो खातमा।

नीरजा शर्मा

Language: Hindi
90 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Neerja Sharma
View all
You may also like:
इस जहां में देखा हमने हर चीज का तोड़ है,
इस जहां में देखा हमने हर चीज का तोड़ है,
Keshav kishor Kumar
मैं गलत नहीं हूँ
मैं गलत नहीं हूँ
Dr. Man Mohan Krishna
अपने मन के भाव में।
अपने मन के भाव में।
Vedha Singh
दिखाने लगे
दिखाने लगे
surenderpal vaidya
फूल और तुम
फूल और तुम
Sidhant Sharma
आप और हम जीवन के सच............. हमारी सोच
आप और हम जीवन के सच............. हमारी सोच
Neeraj Agarwal
कलम की ताक़त
कलम की ताक़त
Dr. Rajeev Jain
दरवाजा खुला छोड़ा था की खुशियां आए ,खुशियां आई भी और साथ में
दरवाजा खुला छोड़ा था की खुशियां आए ,खुशियां आई भी और साथ में
Ashwini sharma
4375.*पूर्णिका*
4375.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"सबक"
Dr. Kishan tandon kranti
कोई भी मेरे दर्द का जायज़ा न ले सका ,
कोई भी मेरे दर्द का जायज़ा न ले सका ,
Dr fauzia Naseem shad
पटकथा
पटकथा
Mahender Singh
हम जैसे है वैसे ही हमें स्वयं को स्वीकार करना होगा, भागना नह
हम जैसे है वैसे ही हमें स्वयं को स्वीकार करना होगा, भागना नह
Ravikesh Jha
बचपन और गांव
बचपन और गांव
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अगर ख़ुदा बनते पत्थर को तराश के
अगर ख़ुदा बनते पत्थर को तराश के
Meenakshi Masoom
!! शेर !!
!! शेर !!
डी. के. निवातिया
sextual education सही ज्ञान बहुत जरूरी है इस आधुनिक युग में
sextual education सही ज्ञान बहुत जरूरी है इस आधुनिक युग में
पूर्वार्थ
इतनी मिलती है तेरी सूरत से सूरत मेरी ‌
इतनी मिलती है तेरी सूरत से सूरत मेरी ‌
Phool gufran
देशभक्ति एवं राष्ट्रवाद
देशभक्ति एवं राष्ट्रवाद
Shyam Sundar Subramanian
खुशी पाने का जरिया दौलत हो नहीं सकता
खुशी पाने का जरिया दौलत हो नहीं सकता
नूरफातिमा खातून नूरी
कलम और रोशनाई की यादें
कलम और रोशनाई की यादें
VINOD CHAUHAN
*राम तुम्हारे शुभागमन से, चारों ओर वसंत है (गीत)*
*राम तुम्हारे शुभागमन से, चारों ओर वसंत है (गीत)*
Ravi Prakash
मुस्कुराहट खुशी की आहट होती है ,
मुस्कुराहट खुशी की आहट होती है ,
Rituraj shivem verma
शराब का सहारा कर लेंगे
शराब का सहारा कर लेंगे
शेखर सिंह
प्रेम रंग में रंगी बांसुरी भी सातों राग सुनाती है,
प्रेम रंग में रंगी बांसुरी भी सातों राग सुनाती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*जंगल की आग*
*जंगल की आग*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
नृत्य किसी भी गीत और संस्कृति के बोल पर आधारित भावना से ओतप्
नृत्य किसी भी गीत और संस्कृति के बोल पर आधारित भावना से ओतप्
Rj Anand Prajapati
तेरा वादा.
तेरा वादा.
Heera S
कुछ नहीं चाहिए
कुछ नहीं चाहिए
राधेश्याम "रागी"
कुंडलिनी छंद
कुंडलिनी छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Loading...