एक दिन फिर मुझको ही घर से निकाला जायेगा।
गज़ल
काफ़़िया- आ स्वर की बंदिश
रद़ीफ- जायेगा
2122……2122……2122……212
पहले मुझको प्यार से पाला सँवारा जायेगा।
एक दिन फिर मुझको ही घर से निकाला जायेगा।
बेटी हूँ मेरे लिए ही तो सभी दस्तूर हैं,
जिंदगी में मुझको कैसे कैसे ढाला जायेगा।
देश विकसित हो रहा कोई बता दे ये मुझे,
मुफ़लिसों के पेट में कैसे निवाला जायेगा।
मारे मारे घूमते हैं डिगरियों को लादकर,
बोझ कब तक नौकरी बिन ये सँभाला जायेगा।
रोजी रोटी छत हो पहले आम जनता के लिए।
बाद मंदिर और मस्जिद या शिवाला जायेगा।
शक के घेरे में है चौकीदार भी जगते रहो,
हो गई चोरी तो फिर उसको न पकड़ा जायेगा।
प्रेम औ’र सद्भाव है जीने का बेहतर रास्ता,
बन के प्रेमी एक दूजे को मिलाया जायेगा।
…….✍️ प्रेमी