एक दिन तू भी।
एक दिन तू भी मुतास्सिर होगा मेरी चाहत से।
तेरी आंखें बस मुझको ही ढूढेंगी हर आहट पे।।
मरने वाला जैसे जिन्दगी का मुंतजर होता है।
यूं तू इस्तकबाल करेगा मेरा भी मुस्कुराहट से।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
एक दिन तू भी मुतास्सिर होगा मेरी चाहत से।
तेरी आंखें बस मुझको ही ढूढेंगी हर आहट पे।।
मरने वाला जैसे जिन्दगी का मुंतजर होता है।
यूं तू इस्तकबाल करेगा मेरा भी मुस्कुराहट से।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️