एक दिन तुम अचानक
एक दिन तुम अचानक चले जाओगे
ये भी हो जाएगा हम ने सोचा न था
प्यार का ये सफ़र इतना आसाँ नहीं
चाह कर फिर तुम्हें भूल जाना कठिन
साथ देना नहीं था तो आये थे क्यों
उस समय से हमें लौट आना कठिन
हाथ मेरा तुम्हें छोड़ना क्यों पड़ा
जो भी होता गया पर ये अच्छा न था…
एक दिन तुम अचानक चले जाओगे
ये भी हो जाएगा हम ने सोचा न था
प्रेम था वो कि था चार दिन का नशा
प्यार के नाम पर हम तमाशा हुए
लोग छलते गये क्यों हमें उम्र भर
घाव ऐसे मिले ख़ुद से तन्हा हुए
देख ये सिलसिला पीर बढ़ती गई
इक हमारे लिए कोई रोता न था
एक दिन तुम अचानक चले जाओगे
ये भी हो जाएगा हम ने सोचा न था
रात बैरन हुई जागते सोचते
मन में थी कौन सी लालसा, कामना
प्रीत का दीप तो जलते ही बुझ गया
प्रेम था ही नहीं वो तो थी वासना
कोई प्यासा न था प्यास का खेल बस
हम जहाँ भी चले एक दरिया न था….
एक दिन तुम अचानक चले जाओगे
ये भी हो जाएगा हम ने सोचा न था….