एक थे वशिष्ठ
यह कविता हमारे भारत के बिहार राज्य के एक महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण जी को समर्पित है।
एक थे वशिष्ठ
वो थे ही विशिष्ट
पूरी दुनिया मे नाम कमाया
पूरा गणित उन्ही में समाया
वो थे इंडिया के ईष्ट
एक थे वशिष्ठ
वो थे ही विशिष्ट।
जात पात न उनको आता
अगर अमेरिका उनको न ले जाता
तो नासा का नाम डुबाता
वे थे इंडिया के ईष्ट
एक थे वशिष्ठ
वो थे ही विशिष्ट।
सरकार दे न पाई उनको उनका मंच
अमेरिका कसता रहा तंज
नासा को ज्ञान बताया
गणना का सिद्धान्त बताया
वो थे इंडिया के ईष्ट
एक थे वशिष्ठ
वो थे ही विशिष्ट।