Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Mar 2018 · 1 min read

* एक थी वो हसी *

एक चांद था, एक मैं
और
एक थी वो हसी
क्या गम था क्या खुशी
सब बांट लेते थे हम
मगर आज
चांद में लग चुका है दाग़
वो भी न रही पहले जैसी
हम भी न रहे अब वैसे
क्या मैं, क्या वो और क्या चांद
ये मेरे सिवाय
ओर जान सकेगा कौन ?
एक चांद था, एक मैं
और एक थी वो हसी

मधुप बैरागी

Language: Hindi
1 Like · 486 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from भूरचन्द जयपाल
View all
You may also like:
पल्लवित प्रेम
पल्लवित प्रेम
Er.Navaneet R Shandily
मेरे दिल ❤️ में जितने कोने है,
मेरे दिल ❤️ में जितने कोने है,
शिव प्रताप लोधी
*भॅंवर के बीच में भी हम, प्रबल आशा सॅंजोए हैं (हिंदी गजल)*
*भॅंवर के बीच में भी हम, प्रबल आशा सॅंजोए हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
-मां सर्व है
-मां सर्व है
Seema gupta,Alwar
तुम छा जाते मेरे दिलों में एक एक काली घटा के वाई फाई जैसे।
तुम छा जाते मेरे दिलों में एक एक काली घटा के वाई फाई जैसे।
Rj Anand Prajapati
चूरचूर क्यों ना कर चुकी हो दुनिया,आज तूं ख़ुद से वादा कर ले
चूरचूर क्यों ना कर चुकी हो दुनिया,आज तूं ख़ुद से वादा कर ले
Nilesh Premyogi
बाहर से लगा रखे ,दिलो पर हमने ताले है।
बाहर से लगा रखे ,दिलो पर हमने ताले है।
Surinder blackpen
तेरे दिल की हर बात जुबां से सुनाता में रहा ।
तेरे दिल की हर बात जुबां से सुनाता में रहा ।
Phool gufran
है शामिल
है शामिल
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
3141.*पूर्णिका*
3141.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हिन्दी की मिठास, हिन्दी की बात,
हिन्दी की मिठास, हिन्दी की बात,
Swara Kumari arya
विधा:
विधा:"चन्द्रकान्ता वर्णवृत्त" मापनी:212-212-2 22-112-122
rekha mohan
आश्रित.......
आश्रित.......
Naushaba Suriya
एक एहसास
एक एहसास
Dr fauzia Naseem shad
हर शायर जानता है
हर शायर जानता है
Nanki Patre
हम तूफ़ानों से खेलेंगे, चट्टानों से टकराएँगे।
हम तूफ़ानों से खेलेंगे, चट्टानों से टकराएँगे।
आर.एस. 'प्रीतम'
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
Kumar lalit
किसी से अपनी बांग लगवानी हो,
किसी से अपनी बांग लगवानी हो,
Umender kumar
समझ
समझ
Shyam Sundar Subramanian
दिखावा
दिखावा
Swami Ganganiya
जितना मिला है उतने में ही खुश रहो मेरे दोस्त
जितना मिला है उतने में ही खुश रहो मेरे दोस्त
कृष्णकांत गुर्जर
क़रार आये इन आँखों को तिरा दर्शन ज़रूरी है
क़रार आये इन आँखों को तिरा दर्शन ज़रूरी है
Sarfaraz Ahmed Aasee
साहित्य में साहस और तर्क का संचार करने वाले लेखक हैं मुसाफ़िर बैठा : ARTICLE – डॉ. कार्तिक चौधरी
साहित्य में साहस और तर्क का संचार करने वाले लेखक हैं मुसाफ़िर बैठा : ARTICLE – डॉ. कार्तिक चौधरी
Dr MusafiR BaithA
नारी
नारी
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
.
.
*प्रणय प्रभात*
"अन्तरात्मा की पथिक "मैं"
शोभा कुमारी
"दर्द की तासीर"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरा वजूद क्या
मेरा वजूद क्या
भरत कुमार सोलंकी
***होली के व्यंजन***
***होली के व्यंजन***
Kavita Chouhan
प्रकृति
प्रकृति
Mangilal 713
Loading...