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19 Nov 2021 · 1 min read

मैं था अनजान और _____ घनाक्षरी

मैं था अनजान और तुम भी नादान गौरी।
नजरे हमारी जब चोरी चोरी लड़ी थी।।
प्रेम जागा प्रीत जागी अंखियों से नींद भागी।
धीरे-धीरे अपनी कहानी आगे बढ़ी थी।।
कुछ कुछ होने लगा खोने लगा दिल तब।
तलब मिलन की तो और ज्यादा बड़ी थी।।
घटा प्यार की थी छाई रुत मिलन की आई।
तन मन भीगे लगा सावन की झड़ी थी।।
*********************************
राजेश व्यास अनुनय

2 Likes · 2 Comments · 372 Views
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